ज्ञान चरित्र तथा संस्कृति के माध्यम से शिक्षा तीर्थराज प्रयाग बनती है। इन पवित्र धाराओं से ओत-प्रोत होकर निकले समस्त छात्र व छात्रायें निश्चित रूप से इस सम्पूर्ण समाज के लिये सुखद बिन्दु होंगे। साथ ही इस प्रकार के छात्र व छात्राओं से युक्त एक कक्षा विश्व के सुन्दरतम स्थानों में से एक होती है। प्रत्येक मनुष्य के अन्दर सम्पूर्ण ज्ञान अन्तर्निहित होता है। इसे जागृत करना तथा एक अच्छा वातावरण देना ही एक शिक्षक का कार्य होता है। हमारे समाज को ऐसी शिक्षा चाहिये, जिससे चरित्र बने मानसिक वीर्य बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके। विद्यालय एक आध्यात्मिक संगठन है, जो चारों ओर जीवन का संचार करता है जिसका अपना स्वयं का विशिष्ट व्यक्तित्व है। विद्यालय एक आश्चर्यजनक भवन है, जिसका आधार सद्भावना है।
डा. त्रिभुवन नाथ पुरवार संस्थापक / अध्यक्ष
विद्यालय राष्ट्रीयता की पहली पाठशाला है। विद्यालय ऐसे क्रियाशील लोगों का संगठन है, जो अपने निजी व सार्वजनिक जीवन में प्रत्येक कार्य को तन मन धन तथा निःस्वार्थ बुद्धि से करते हैं।
डा0 आदित्य कुमार पुरवार प्रबन्धक
समाज सेवा का संकल्प लिये हुए न्यासी (ट्रस्टी) भावना से निरन्तर विद्यालय के संरक्षण,सम्वर्द्धन और प्रगति में लगी प्रबन्ध समिति सक्रिय एवं क्षमतावान है।