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विद्या भारती का लक्ष्य

इस प्रकार की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना, जिसके द्वारा ऐसी युवा - पीढ़ी का निर्माण हो सके, जो हिन्दुत्व- निष्ठ एवं राष्ट्र-भक्ति से ओत-प्रोत हो। शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्ण विकसित हों, तथा जो जीवन की वर्तमान चुनौतियों का सामना सफलता पूर्वक कर सकें और उसका जीवन ग्रामीण वनवासी गिरिकन्दराओं एवं झुग्गी-झोपड़ियों में निवास करने वाले दीन-दुःखी अभाव ग्रस्त अपने बान्धवों को सामाजिक कुरीतियों, शोषण एवं अन्याय से मुक्त कराकर राष्ट्रजीवन को समरस सुसम्पन्न एवं सुसंस्कृत बनाने के लिये समर्पित हो।



विद्यालय का संक्षिप्त परिचय

अत्यन्त हर्ष का विषय है कि अपने विद्यालय में सन् 2018-19 में प्राइमरी विभाग का शुभारम्भ भी किया गया, जिसनें आज नगर में अपनी एक अहम भूमिका के रूप में स्थिति प्राप्त कर ली है। प्राइमरी विभाग केवल अंग्रेजी माध्यम से संचालित है।



सरस्वती विद्या मन्दिर योजना: एक संक्षिप्त (माध्यमिक विभाग)

उत्तम संस्कारों से युक्त शिक्षा के लिये ही नगर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डा0 त्रिभुवन नाथ पुरवार ने अपनी माता जी के नाम पर ‘‘श्रीमती भगवान् देई सेवा संस्थान’’ ट्रस्ट की स्थापना करके प्रथम श्री राम मन्दिर और पश्चात् सरस्वती विद्या मन्दिर जैसे श्रेष्ठ भव्य युगल मन्दिरों का निर्माण करवाया। डाक्टर साहब की बुआ जी स्व0 चन्द्रकली देवी सहित अनेक महानुभावों ने विद्यालय निर्माण में यथेष्ट सहयोग प्रदान किया सन् 1983 में विद्यालय षष्ठ कक्षा से विधिवत् प्रारम्भ हुआ। उसके बाद सन् 1993 में हाईस्कूल विज्ञान वर्ग एवं सन् 1999 में इण्टर मीडिएट विज्ञान वर्ग की मान्यता माध्यमिक शिक्षा परिषद् (उ0प्र0) द्वारा प्राप्त हुई। हाईस्कूल में कम्प्यूटर, कला तथा इण्टर में जीव विज्ञान व गणित, अंग्रेजी व कम्प्यूटर तथा कामर्स वैकल्पिक विषयों के रूप में पढाये जाते हैं।

सम्पूर्ण प्रदेश के सरस्वती शिशु मन्दिरों में शिशु से लेकर पंचम कक्षा तक अध्ययन करने के बाद भैया-बहनों की आगामी शिक्षा का अभाव सदैव अनुभव किया जाता था। इस अभाव की पूर्ति हेतु भारतीय शिक्षा समिति उ0प्र0 लखनऊ की स्थापना हुई जिसके निर्देशन में सरस्वती विद्या मन्दिर पद्धति के अनुसार कक्षा पाँच से आगे की शिक्षा की व्यवस्था की गयी है जिसमें उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद दिल्ली से मान्यता प्राप्त विद्यालयों की योजना हुई। उत्तर प्रदेश में ऐसे अनेक (दोनो ही प्रकार के) विद्यालय वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर सरस्वती विद्या मन्दिर के नाम से अपने अभिनव शिक्षण पद्धति के द्वारा संस्कार व परीक्षा परिणाम में अग्रणी होने के कारण समाज द्वारा प्रशंसनीय हैं, सफलता से चल रहे हैं जिनका समाज में प्रभाव परिलक्षित होता है। सर्वत्र इस अभिनव शिक्षण पद्धति की प्रशंसा हुई है। प्रदेश में ऐसे विद्यालय ‘सरस्वती विद्या मन्दिर’ के नाम से संचालित हैं।



भव्य भवन (College Campus)

जिस विद्यालय का प्रथम दर्शन ही हमें अभिभूत कर दे तो योजना का प्रथम चरण पूर्ण हो जाता है। यह उक्ति चरितार्थ होती है। इस विद्यालय को देखकर। शहर के व्यस्त एवं कोलाहल पूर्ण वातावरण से दूर शान्त एवं प्राकृतिक परिवेश से परिपूर्ण नवनिर्मित अत्याधुनिक तीन मन्जिल का विशाल भवन लखीमपुर मार्ग पर स्थित है। सभी कक्ष हवादार, जनरेटर की व्यवस्था तथा प्रकाश, विद्युत, C.C.T.V. के साथ पंखायुक्त एवं सुसज्जित हैं। विशाल प्रयोगशालायें इण्टरमीडिएट के स्तर की हैं। छात्र एवं छात्राओं के लिये जल एवं प्रसाधन की व्यवस्थाएं भी अलग - अलग हैं। प्राइमरी विभाग की कक्षायें अति सुन्दर तथा C.C.T.V. कैमरों से युक्त हैं।



मान्यता

विद्यालय को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् से इण्टरमीडिएट तक की विज्ञान वर्ग तथा वाणिज्य वर्ग से पूर्ण वैधानिक मान्यता प्राप्त है। प्राइमरी विभाग को शासन के बेसिक शिक्षा विभाग से पूर्ण वैधानिक मान्यता प्राप्त है। तथा अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण प्रारम्भ है।