शिक्षण विधि (Teaching Method)

सुयोग्य एवं प्रशिक्षित आचार्यों द्वारा नवीनतम वैज्ञानिक विधियों से शिक्षण की व्यवस्था है। गृहकार्य, कक्षाकार्य निरीक्षण की नियमितता है एवं क्रिया आधारित शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता है। विद्या भारती द्वारा शोधित पंचपदीय शिक्षण पद्धति - 1. अधीति (Study) 2. बोध (Class Work) 3. अभ्यास (Home Work) 4. प्रयोग सहपाठ्य (Learing by Doing) 5. प्रसार (Expansion) पर आधारित छात्रों को सैद्धान्तिक व व्यवहारिक ज्ञान सुनियोजित तरीके से कराया जाता है।

छात्रों के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से पंचमुखीय शिक्षा- शारीरिक (Physical), मानसिक (Mental), व्यावसायिक (Vocational), नैतिक एवं आध्यात्मिक (Moral & Spritual) की व्यवस्था है।




शैक्षिक प्रदर्शनी (Etucational Exhibition)

प्रति वर्ष छात्र आधुनिकतम वैज्ञानिक उपकरण, चार्ट, मॉडल आदि के माध्यम से वियषानुसार शैक्षिक प्रदर्शनी का भव्य आयोजन करते हैं। जोकि क्रिया आधारित शिक्षण का माध्यम है।




छात्र संसद (Student Parliament)

छात्र संसद विद्यालय की समस्त गतिविधियों में परामर्श देने के साथ-साथ अन्य व्यवस्थाओं में भी सहयोग करती है। छात्र संसद का गठन प्रतिवर्ष चुनाव द्वारा होता है। छात्र मंत्रि-मण्डल का चयन छात्र प्रधानमंत्री, छात्र संसद के अध्यक्ष की सलाह से करता है और मंत्रि-मण्डल विभिन्न विभागों के समस्त क्रियाकलापों में उत्तरदायित्व की भावना से कार्य करता है। मुख्य परिषदें हैं- विज्ञान, साहित्य एवं कला, सांस्कृतिक, सामाजिक, पुस्तकालय, क्रीडा, अनुशासन, खाद्य, वाहन, स्वास्थ्य आदि।




छात्र सदन (Student House)

विद्यालय की अनुशासन व्यवस्था एवं अन्य व्यवस्था में सहयोग के लिए तथा शारीरिक गतिविधियों एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं में सभी छात्र हिस्सा ले सकें इस हेतु विद्यालय में सदनों की रचना विभिन्न महापुरूषों के नाम पर की गयी है।




घोष (Band)

विद्यालय में व्यवस्थित घोष है। सतत् प्रशिक्षण के कारण निरन्तर कुशल वादको की वृद्धि हो रही है।




अभिभावक सम्पर्क एवं गोष्ठियाँ (Parents Meeting & Seminars)

छात्रों के विकास में आचार्य एवं अभिावकों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, इस निमित्त विद्यालय में अभिभावक गोष्ठियों एवं सम्मेलनों का आयोजन प्रतिवर्ष होता है। जिसमें अभिभावकों व आचार्यों के मध्य सुझावों का आदान-प्रदान होता है। इसके अतिरिक्त आचार्य बन्धु एवं बहनें छात्रों के घर जाकर अभिभावकों से सम्पर्क कर छात्र के सर्वांगीण विकास का प्रयत्न करते हैं।